देहरादून। ग्राम पंचायत गल्जवाडी में ग्राम प्रधान लीला शर्मा की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में गांव की आबादी और मालिकाना हक के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया गया। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह गांव आजादी से पहले बसा होने के बावजूद इस गांव को झाड़ी व जंगल दर्शाया गया है। तब से इस गांव में कई प्रधान रह चुके हैं। वर्तमान में ग्राम प्रधान लीला शर्मा इस गांव की आबादी घोषित करने को लेकर वर्ष 2008 से लड़ाई लड़ रही हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह गांव मुख्यमंत्री आवास से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन इस गांव की गरीब जनता की बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। गांव की गरीब जनता कभी मुख्यमंत्री तो कभी सचिवालय से लेकर विधानसभा के चक्कर काट रही है।
पूर्व में इस गांव में पहुंचकर तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि इस गांव को आबादी वाला घोषित कर मालिकाना हक दिया जाये। ग्राम प्रधान लीला शर्मा के प्रयासों के बाद इस संबंध में एक पत्रावली बना कर शासन के अधिकारी को सौंप दिया गया था। जिसमें नया नम्बर, पुराना नम्बर और नक्शे में भी इसे दर्शाया गया था। तब शासन के स्तर से कोई सकारात्मक कार्रवाई न होने के कारण ग्रामवासियों को माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। ग्राम प्रधान लीला शर्मा और अन्य ग्रामीणों ने माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल में रिट दायर की। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा शासन को छः (6) हफ्ते में जवाब देने का समय दिया गया था। जवाब देने के लिए दिनांक 13/8/2024 से 22/10/12024 तक का समय दिया गया था। जवाब देने की यह अवधि पूरी होने के बावजूद शासन स्तर से अभी भी इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है। जो कि सीधे तौर पर माननीय न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है।
अतः इसके मद्देनजर बैठक में ग्रामीणों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि अब इस मामले में फिर से न्यायालय की शरण में जाना आवश्यक हो गया है। बैठक में वार्ड सदस्य बिमला देवी, हरिकला, झूमा देवी, मीना शर्मा, गंगा, चन्द्रकला, पूनम अधिकारी, रीता देवी, माया शर्मा, राजू थापा आदि अन्य लोग मौजूद रहे