नफरत नहीं, रोज़गार दो मांग करते हुए नौ सौ से ज्यादा नागरिकों से मुख्यमंत्री को पत्र

“नफरत नहीं, रोज़गार दो” के नाम पर प्रदेश भर में हो रहे सामाजिक आंदोलन के अंतर्गत आज जन संगठनों का प्रतिनिधि मंडल 950 लोगों के हस्ताक्षरों के साथ जिलाधिकारी देहरादून द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र सौंपवाया। पत्रों द्वारा हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, श्रीदेव सुमन, जयानंद भारती, सरला बहिन, नागेन्द्र सकलानी जैसे सैकड़ों संघर्षील लोगों से रही है। लेकिन हाल में राज्य की स्थिति चिंताजनक रही है। “लव जिहाद” एवं ‘लैंड जिहाद” जैसे शब्दों द्वारा अपराधों को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है और लोगों के हक़ों एवं आर्थिक ज़रूरतों पर कदम उठाने के बजाय सरकार निजी कंपनी के हित में नीति बना रही है।

पत्रों द्वारा हस्ताक्षरकर्ताओं ने इन मांगों को उठाया: धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों को निशाने बनाने का आपराधिक अभियान पर रोक लगाया जाए; पुलिस शिकायत आयोग और लोकायुक्त को सक्रिय कर राज्य में कानून के राज को स्थापित किया जाए; वन अधिकार कानून के अंतर्गत हर गांव और वन क्षेत्र में रहने वाले परिवार को अधिकार पत्र दिया जाये; राशन सबको मिले, और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में हर पात्र व्यक्ति और परिवार को अपना हक़ दिलाया जाये। निजी कंपनियों, भ्रष्ट अधिकारीयों, एवं सांप्रदायिक गुंडागर्दी के हित में सरकार काम न करे।

बताया जाये कि पिछले दो महीने से नफरत नहीं, रोज़गार दो आंदोलन प्रदेश भर में जारी है। आने वाले सप्ताहों में प्रदेश भर में अलग अलग जगहों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। हस्ताक्षर अभियान इस आंदोलन का एक भाग है।

प्रतिनिधि मंडल में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल; उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के Adv हरबीर सिंह कुशवाहा एवं विजय शुक्ला; स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट; अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल; और चेतना आंदोलन के राजेंद्र शाह एवं मुकेश उनियाल शामिल रहे।

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