देहरादून नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा ने अफसरों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जिस तरह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर नगर निगम के परिसीमन कक्ष में निगम अधिकारियों और भाजपा नेताओं के बीच बैठक हुई है, उससे कहीं ना कहीं वार्डों का परिसीमन और आरक्षण को प्रभावित करने की कोशिश है। भाजपा ने इसका नाम समन्वय कमेटी रखा है। क्या सरकार कांग्रेस की समन्वय कमेटी नहीं बना सकती थी। सरकार ये मानकर चल रही है कि आगे चुनाव हैं। इसलिए अपने हिसाब से सभी चीज तय कर दी जाएं। वहीं इस बैठक में भाजपा से मेयर पद के दावेदार भी रहे। इससे भी इस बैठक के और मायने लगाए जा सकते हैं। कांग्रेस का कहना है कि सभी राजनेतिक दलों से आगामी चुनाव को लेकर होने वाले परिसीमन, आरक्षण आदि के मामले में सुझाव लिए जानने चाहिए।
साल 2011 की जनगणना में चुनाव कराने की योजना है। वहीं अब साल 2024 आ गया है। साल 2021 में जनगणना हुई नहीं। साल 2011 के बाद देहरादून नगर निगम छेत्र की आबादी मौजूदा समय में काफी हो गई है। कांग्रेस का मानना है कि साल 2011 के परिसीमन पर चुनाव होने से वार्डों में विकास परभावित होगा। योजनाएं पुरानी आ आबादी के हिसाब आयेंगी।
कांग्रेस का कहना है कि बीते दो दिसंबर से नगर निगम बोर्ड भंग है। 9 महीने हो चुके हैं। शहर की जनता समस्या से जूझ रही है। स्ट्रीट लाइट सिस्टम पटरी से उतरा है। सड़कों की हालत ठीक नहीं है। सफाई कार्य भी संतोषजनक नहीं है। इसलिए सरकार को जल्द चुनाव कराने चाहिए।