लगभग एक महीने से रणबीर सिंह की न्यायिक अभिरक्षा में मृत्यु की उच्चस्तरीय जांच तथा मृतक की पत्नी तथा तीन बच्चों को भरण हेतु समुचित आर्थिक सहायता तथा जानमाल की सुरक्षा की गारन्टी की मांग को लेकर एक संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल ने जिलामुख्यालय में जिलाधिकारी महोदया सोनिकासिंह से भेंटकर उनसे रणबीर प्रकरण में बिस्तार से अपनी बात रखी तथा कहा है कि 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में पुलिस अभिरक्षा /न्यायिक अभिरक्षा में मृत्यु तमिलनाडु सरकार को समुचित मुआवजा देने तथा अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा हिरासतों में मौत कानून के शासन में जघन्यतम अपराध है ।कानून के शासन 176 धारा के तहत न्यायिक जांच का प्रावधान है, इसी प्रकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ऐसी घटनाओं मुआवजे के निर्देश दिये हैं ।प्रतिनिधिमण्डल जिलाधिकारी महोदय तीन सूत्रीय मांगपत्र दिया :-
(1)देश के विभिन्न राज्यों में न्यायिक अभिरक्षा में मृत्यु पर 5 से 10 लाख तक का मुआवजे का प्रावधान है अत: मृतक रणबीर सिंह की पत्नी तथा तीन बच्चों के भरण पोषण के लिऐ समुचित मुआवजा राशि स्वीकृत करने के लिऐ शासन को लिखने का कष्ट करें ।
(2) मृतक की पत्नी पर चुप रहने का निरन्तर दबाव डाला जा रहा है ,अत: परिवार की जानमाल की सुरक्षा हेतु आवश्यक कदम उठाये जायें,दबाव बनाने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित हो ।
(3) इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री जी बातचीत हेतु 12 सदस्यों के संयुक्त प्रतिनिधि मण्डल जिसमें मृतक की पत्नी भी शामिल हो मिलने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये ।
जिलाधिकारी महोदया ने प्रतिनिधि मण्डल की बात काफी ध्यान से सुनी तथा इस सन्दर्भ में सिटी मजिस्ट्रेट को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये