मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन द्वारा जैन संत आचार्य विराग सागर महाराज की महाराष्ट्र में समाधि के समाचार से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। आचार्यश्री का जन्म दमोह जिले के पथरिया में हुआ था।
जैन संत आचार्य विराग सागर महाराज की महाराष्ट्र में समाधि के समाचार से मध्य प्रदेश सहित संपूर्ण देश में शोक की लहर दौड़ गई। आचार्यश्री का जन्म दमोह जिले में हुआ था। आचार्य विद्या सागरजी के बाद 4 जुलाई को आचार्य विराग सागर की समाधि से जैन समाज को बड़ी क्षति हुई है। आचार्यश्री ने 300 से अधिक मुनि, आर्यिका को दीक्षित किया है। विराग सागरजी महाराज की समाधि पर संगठन के अध्यक्ष सचिन जैन ने कर विन्यांजली दी है।
मध्यप्रदेश के दमोह के पथरिया में जन्मे आचार्य विराग सागरजी महाराज ने महाराष्ट्र के जालना गांव में समाधि ले ली। उनकी समाधि का समाचार पाकर जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। जैन संत आचार्य विराग सागर की समाधि अंतिम डोला आज सुबह 11 बजे अक्षय मंगल कार्यालय, देव मूर्ति, ग्राम सिंदखेड राजा रोड जालना से एक किलोमीटर दूर स्थित पाटनी फार्म परिसर देवमूर्ति ग्राम में हो गया।
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष मधु जैन ने कहा कि जैन समाज के बड़े संत आचार्य विराग सागरजी महाराज की समाधि को बड़ी क्षति बताया गया है। गणाचार्य विराग सागरजी महाराज के समाधि लेने पर विनम्र विनयंजलि दी है। दिगंबर महामुनि संघ नायक, बुंदेलखंड के प्रथम जैन गणाचार्य श्री 108 आचार्य श्री विराग सागरजी महाराज समाधिस्थ हो गए हैं। विराग सागरजी महाराज के मंगलमय विचार और लोकहितकारी जीवन सर्वदा मानवता के कल्याण के दिव्य प्रकाश पुंड को देदीप्यमान रखेंगे