अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा हुआ है। सबकी नजर सबसे ज्यादा सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर है, जहां पर 2014 से ही बीजेपी का दबदबा है। इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का दावा है कि सभी 80 सीटों पर वह बीजेपी को हराने जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पिछड़ों, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है।
हालांकि, अब तक कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने की बात करने वाले अखिलेश ने पिछले दिनों एक ऐसा बयान दे दिया, जिससे लगा कि सपा कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है, बशर्ते प्रदेश में सीटों के बंटवारे के दौरान दबदबा उनकी पार्टी का ही हो। अखिलेश ने पिछले शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए प्रतिबद्ध विपक्षी दलों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
कुछ सप्ताह पहले सपा ने कहा था कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। सपा ने यूपी के कुछ कांग्रेसी गढ़ों में से एक अमेठी में अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। मालूम हो कि पिछले काफी समय से राहुल गांधी जैसे हाई प्रोफाइल उम्मीदवार के खिलाफ वह अपना कैंडिडेट नहीं उतारती आई थी। हालांकि, पिछले चुनाव में राहुल को अमेठी से हार मिली थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि सपा अपने मौजूदा सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के दबाव में है, जिसका मानना है कि कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी मोर्चा सफल नहीं हो सकता है।
आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, ”2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में मुस्लिम कांग्रेस की ओर देख रहे हैं। इसलिए यूपी में कांग्रेस को विपक्ष के मोर्चे में होना चाहिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ मुस्लिम, जाट और गुर्जर का गठबंधन बन रहा है।” राय ने आगे कहा कि पश्चिमी यूपी की कम-से-कम 22 लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों की 38-51 फीसदी और जाटों की 6-12 फीसदी वोटर हैं और ‘बदले हुए परिदृश्य’ में कांग्रेस भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की मदद कर सकती है।