श्री राम के भजनों से प्रारम्भ होती प्रभात फेरी, योग, टास्क, प्रतियोगिता, शैक्षिक सत्र, और सांस्कृतिक सन्ध्या

जहां स्वच्छता अभियान, मतदाता जागरूकता रैली, घर घर जागरुकता(ऑनलाइन वोटर आईडी बनाने और वोटर हेल्पलाइन एप प्रशिक्षण ), खेल खेल में सीख ( राजकीय प्राथमिक विद्यालय ननूर खेड़ा में खेल द्वारा विज्ञान, गणित, समाजिक ज्ञान का प्रशिक्षण) और रन फॉर लाइफ अभियान (नशे को ना , जीवन को हां) के तहत स्वयं सेवियों को समाज से जुड़ने का अवसर प्रदान किया , वहीं प्रतिदिन 1 प्रतियोगिता यथा भाषण, पोस्टर, लोक नृत्य, लोक गीत इत्यादि ने प्रत्येक स्वयंसेवी को मंच प्रदान किया।

इन सब के इतर सांस्कृतिक सन्ध्या प्रत्येक दिन ध्यान आकृष्ट करती रही, नंदा राजजात यात्रा, पांडव नृत्य, कौथिक, छलिया ( छोलिया) , रम्माण जैसे कार्यक्रम जो उत्तराखंड की संस्कृति से परिचय करवाते रहे ,तो वहीं टीम के नाम पर ( यथा टीम भगत सिंह का शहीद भगत सिंह जी पर) किए गए कार्यक्रम जिनमे शहीद भगत सिंह जी की शहादत के पूर्व का संवाद, श्री देव सुमन जी का टेहरी जेल का संघर्ष, गांधी जी का नमक सत्याग्रह, नेता जी का आजादी का संघर्ष, चंद्र शेखर आजाद जी का शहादत दृश्य स्वयंसेवियो में राष्ट्र प्रेम की अग्नि प्रज्जवलित करता रहा।

साथ ही शैक्षिक सत्र में समाज हेतु युवा , यूसीसी, अग्नि समन, आपदा प्रबंधन, एवम बचाव, आपातकाल के संदर्भ में आयोजित विभन्न परिचर्चा ने स्वयंसेवियों का व्यवहारिक ज्ञान से भी परिचय करवाता रहा।

जहां स्वयं ही खाना बनाने , बर्तन धोने इत्यादि से पनपता स्वावलंबन , और कैंप दिशा निर्देश के अंतर्गत अनुशासन, तो वहीं साथ रहना , खाना, काम करने से हम की भावना प्रबल होती दिखी। अतः ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि, मैं नहीं किंतु आप के उद्धेश्य से अयोजित शिविर में वह सब कुछ था, जिससे स्वयंसेवी न केवल समाज, संस्कृति और देश बल्कि स्वयं से भी जुड़ सके , और स्वयं को बेहतर कर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सके।

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