देहरादून: हीमोफीलिया का दर्द झेल रहे मरीजों की परेशानी अब और बढ़ गई है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में फैक्टर–8 तकरीबन तीन माह से खत्म है।जबकि फैक्टर-7 व फैक्टर–9 की भी लगातार कमी बनी हुई है। ऐसे में मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के मरीजों को झेलनी पड़ रही है। क्योंकि, आर्थिक रूप से कमजोर ये लोग निजी अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते और पूरी तरह सरकारी तंत्र पर निर्भर हैं।
हीमोफीलिया सोसायटी देहरादून चैप्टर के महासचिव दीपक सिंघल के अनुसार प्रदेश में हीमोफीलिया के 285 मरीज हैं। जिसमें करीब 210 फैक्टर-8 के पीड़ित हैं। जिनके लिए फैक्टर की अनुपलब्धता परेशानी का सबब बानी हुई है। गंभीर मरीजों को जान का खतरा बना हुआ है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछले 12 वर्ष से इन्हें निशुल्क फैक्टर उपलब्ध करा रही है, लेकिन फिलहाल मरीज भगवान भरोसे हैं।इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत को पत्र भेज समस्या के जल्द समाधान की मांग की गई है।
ये है हीमोफीलिया
हीमोफीलिया रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) से संबंधित एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। चोट लगने पर हीमोफीलिया के रोगियों में सामान्य व्यक्ति की तुलना में ज्यादा समय तक रक्तस्त्राव होता है।