दीन दयाल पार्क में आयोजित की गई जनसभा में राज्य के मज़दूर संगठनों एवं राजनेताओं के साथ भारी संख्या में मज़दूर और गरीब लोग एकत्रित हुए। सभा में वक्ताओं ने कहा कि सरकार अदालत के आदेशों का बहाना बना कर देहरादून में अभी मज़दूरों को बेघर करना चाह रही है, जबकि यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि सरकार ने पिछले आठ सालों में अपने ही वादों पर कोई काम नहीं किया और जारी याचिकाओं में भी घौर लापरवाही की। सवाल यह है कि जब सरकार को पता है कि मज़दूर सिर्फ और सिर्फ बस्ती में रह सकते हैं, तो इसके लिए व्यवस्था न कर बार बार उजाड़ना अत्याचार है। जून 2024 में 2018 में लाया गया अधिनियम भी ख़तम हो रहा है, जिसके बाद किसी भी बस्ती को कभी भी उजाड़ा जा सकता है, और इसपर भी सरकार खामोश है। वक्ताओं ने यह भी कहा कि सरकार की लापरवाही यहाँ तक रही कि आखरी सुनवाई में वे हाज़िर ही नहीं हुए। इसी प्रकार की जन विरोधी मानसिकता और मुद्दों पर भी दिख रहा है – शहर में वेंडिंग जोन को न घोषित कर ठेली वालों को हटाया जा रहा है और पर्वतीय क्षेत्रों में वन अधिकार कानून पर अमल न कर लोगों को हटाया जा रहा है। शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी बड़े बिल्डर, निजी कंपनी एवं सरकारी विभागों ने अनेक नदियों और नालियों पर अतिक्रमण किये हैं लेकिन उनपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। उल्टा दुष्प्रचार किया जाता है कि ये मुद्दे “बाहर” के लोगों के मुद्दे हैं, जबकि राज्य के सारे गरीब और आम लोग इनसे प्रभावित हैं।
जन सभा द्वारा इन मांगों को उठाया गया: अपने ही वादों के अनुसार सरकार तुरंत बेदखली की प्रक्रिया पर रोक लगाए चाहे क़ानूनी संशोधन द्वारा या कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील द्वारा; जब तक नियमितीकरण और पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी, तब तक 2018 का अधिनियम को एक्सटेंड किया जाये; दिल्ली सरकार की पुनर्वास नीति को उत्तराखंड में भी लागू किया जाये; राज्य के शहरों में उचित संख्या के वेंडिंग जोन को घोषित किया जाये; पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वन अधिकार कानून पर अमल युद्धस्तर पर किया जाये; बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों के अतिक्रमण पर पहले कार्यवाही की जाये; 12 घंटे का काम करने के कानून, चार नए श्रम संहिता और अन्य मज़दूर विरोधी नीतियों को रद्द किया जाये; और न्यूनतम वेतन को 26,000 किया जाये।
जन सभा की और से मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन अपर तहसीलदार द्वारा सौंपवाया गया। प्रभावित जनता की और से ज्ञापन को नगर निगम में नगर आयुक्त के कार्यालय में सौंपवाया गया।
INTUC के राज्य अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री हिरा सिंह बिष्ट; CITU के राज्य अध्यक्ष राजेंद्र नेगी और राज्य सचिव लेखराज AITUC के राज्य उपाध्यक्ष समर भंडारी एवं राज्य सचिव अशोक शर्मा; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल; समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एस.एन. सचान; माकपा के जिला सचिव राजेंद्र पुरोहित; कर्मचारी महासंघ के एस.एस. नेगी; और एस.एफ.एफ.के राज्य सचिव हिमांशु चौहान , अध्यक्ष नितिन मलेठा , जय कृत कंडवाल , इफ्टा के हरिओम पाली , अर्जुन रावत आदि ने जन सभा को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में प्रभावित लोगों के साथ भीम आर्मी के महानगर अध्यक्ष आज़म खान, माकपा के अनंत आकाश , कृष्ण गुनियाल , राम सिंह भंडारी ,रविन्द्र नौढियाल , भगवंत पयाल, शैलेन्द्र परमार , और अन्य प्रतिनिधि भी शामिल थे ।