उत्तराखंड में वर्ग 3 क और वर्ग 4 की सरकारी जमीनों पर काबिज लोगों के नियमितीकरण की प्रकिया लटक गई है। राज्य के 13 में से 10 जिलों के जिलाधिकारियों ने इस मामले में अभी तक ब्योरा नहीं दिया है। जिससे कैबिनेट की उप समिति इस संदर्भ में अपनी रिपोर्ट ही तैयार नहीं कर पा रही है। दरअसल सरकार ने वर्ग 3 क और वर्ग 4 की जमीनों पर काबिज लोगों के नियमितीकरण का निर्णय लिया था। राज्य में कई स्थानों पर वर्ग तीन और वर्ग चार की जमीनों के विवाद लंबे समय से चल रहे हैं। वर्षों से जमीन पर काबिज लोगों को अब तक मालिकाना हक हासिल नहीं है। इस विवाद के हल के लिए सरकार ने इन जमीनों का नियमितीकरण करने का निर्णय किया है।
लेकिन सरकार की ओर से इसके लिए पूर्व में तय की गई समय अवधि समाप्त हो गई। ऐसे में सरकार ने फिर से इस अवधि को बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके लिए कैबिनेट ने वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में उप समिति का गठन किया था। गुरुवार को समिति की विधानसभा में बैठक हुई जिसमें वन मंत्री सुबोध उनियाल और रेखा आर्या ने अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि 10 जिलों के डीएम ने अभी तक वर्ग 3 क और वर्ग 4 पर काबिज लोगों के संदर्भ में ब्योरा नहीं दिया है। ऐसे में अभी तक समिति की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है।
बैठक में मौजूद कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और रेखा आर्या ने रिपोर्ट न भेजने वाले 10 जिलों के जिलाधिकारियों को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। इन जिलों से रिपोर्ट आने के बाद ही समिति इस संदर्भ में कोई निर्णय लेगी। उसी के आधार पर अवैध रूप से काबिज लोगों के नियमितीकरण को लेकर आगे की कार्रवाई होगी। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि कैबिनेट ही अंतिम रूप से फैसला लेगी। बैठक में सचिव राजस्व सचिन कुर्वे, प्रमुख सचिव न्याय नितिन शर्मा के साथ ही अनेक विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।