राधा अष्टमी तिथि वराह की जय विश् भानु महाराज का रोज जमुना में स्नान करने का नियम

राधा अष्टमी तिथि वराह की जय विश् भानु महाराज का रोज जमुना में स्नान करने का नियम था एक दिन अचानक अकेले बैठे भगवान के सामने चिंतन कर रहे थे मेरे संतान नहीं देखो नंद बाबा के यहां पर कृष्ण का जन्म हो गया है मेरे कब प्रभु कृपा करेंगे मुझ पर प्रभु कब कृपा करेंगे कब मेरे संतान होगी कब क्या होगा तो चिंतन कर ही रहे थे यमुना जी के किनारे बैठे-बैठे तो उसे दिन अचानक भादो का का महीना था अष्टमी तिथि थी शुक्ल पक्ष और अष्टमी तिथि थी वह रोज स्नान करने के बाद जैसे हम गंगा जी में यमुना जी में जब स्नान करते हैं तो भगवान सूर्य देव को अरग देते हैं.

जमुना जी का जल लेकर गंगा जी का जल लेकर ऐसे वृषभानु महाराज वह सूर्य को जल दे रहे थे तो उनकी आंखें बंद थी क्योंकि जल में जब जल छोड़ेंगे तो लगता है आवाज आती है तो उन्होंने देखा मैं जल छोड़ रहा हूं आवाज क्यों नहीं आ रही जब उन्होंने आंखें खोल ली तो देखा एक कमल के फूल में उनके सामने घूम रहा है वह जो जल है जो छोटी सी कन्या है उनके चरणों में गिर रहा है वह जमुना जल उनके चरणों में गिर रहा है तब वृष भानु महाराणा ने उस कन्या को उठाया गोद में उठाकर घर पर आ गए कीर्ति मैया को कहा देखो यमुना महारानी की ऐसी कृपा हुई हम चिंतन करते थे हमारे कब संतान होगी आज यमुना जी की कृपा से हमें एक कन्या को प्राप्त हुआ है तो वह कन्या में आपको देता हूं किंतु कन्या प्राप्त तो हुई किंतु कन्या की आंखें बंद थी.

उस कन्या उन्होंने (राधा रानी) ने प्रतिज्ञा किया था जब तक मैं अपने स्वामी श्री कृष्ण के प्रभु के दर्शन ना कर लो तब तक मैं इस जगत को नहीं देखूंगी और आंखें भी नहीं खोलूंगी और जैसे भगवान को स्पर्श किया और तब राधा रानी ने आंखें खोली जब वृष भानु महाराज के यहां पर वह कन्या आयी तो वृषभानु को बड़ा आनंद हुआ तब उन्होंने नंद बाबा को निमंत्रण दिया कहा देखो मेरे यहां पर कन्या का जन्म हुआ है प्रादुर्भाव हुआ है अभी हुआ है कोख से जन्म नहीं हुआ यमुना जी से प्रकट हुई कन्या के रूप में कमल के फूल में बहती हुई आयी मन में चिंतन किया चलो कोई चिंता नहीं कन्या तो हुई है आंखें बंद है कोई चिंता नहीं संतान तो दिया.

जमुना मैया ने तब जो है उन्होंने फिर नंद महाराज यशोदा मैया कृष्ण को कृष्ण और बलराम सब आए वहां पर रावल गांव में तो देखा राधा रानी की आंखें खुली हुई है और वृषभानु महाराज भी नंद महाराज आए यशोदा मैया कीर्ति मैया आयी सब का आनंद उत्सव चल ही रहा था आनंद हो गया क्योंकि मेरी लाली की मेरी कन्या की क आंखें खुल गई है बधाई हो बधाई महारानी बधाई उत्सव सब बृजवासियों को दान दिया वस्त्र दिए पैसा लुटाया धन दौलत लुटाई भंडारे चले क्योंकि उन्हें और आनंद हो गया क्योंकि पहले तो आंखें बंद थी और जैसे आंखें खुल गई तो हो उन्हें आनंद हुआ यही राधा रानी की अद्भुत लीला के जन्म की लीला है बोल वृंदावन बिहारी लाल की जय

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