मुक्ति पर्व एक महान प्रेरणा दिवस

मुक्ति पर्व समागम प्रतिवर्ष 15 अगस्त को आयोजित किया जाता है, इस दिन जहां देश में राजनैतिक स्वच्छता का आनंद प्राप्त हो रहा होता है वही संत निरंकारी मिशन इस आनंद में आध्यात्मिक स्वतंत्रता से प्राप्त होने वाले आनंद को भी सम्मिलित कर मुक्ति पर्व मनाता है, मिशन का मानना है जहां राजनीतिक स्वतंत्रता सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के लिए अनिवार्य है वही आध्यात्मिक स्वतंत्रता भी शांति और शाश्वत आनंद के लिए आवश्यक है। एक और देश उन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आभार व्यक्त करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था । दूसरी ओर मिशन उन संतों के तप त्याग को याद करता है जिन्होंने सत्य ज्ञान के दिव्यज्योति द्वारा मानवता का कल्याण करने में सारा जीवन लगा दिया ।

उक्त आशय के प्रवचन दिल्ली से पधारे प्रचार विभाग से नरेश कुमार लूथरा जी ने रखें, उन्होंने आगे कहा मुक्ति पर्व समागम आरंभ में शहंशाह बाबा अवतार सिंह की धर्मपत्नी जगत माता बुधवंती जी जो वर्ष 1964 में इसी दिन ब्रह्मलीन हुई थी की याद में मनाया जाता है। जब शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी 17 सितंबर 1969 को ब्रह्मलीन हुए तो इसे शहंशाह जगत माता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा परंतु जब संत निरंकारी मंडल के प्रथम प्रधान लाभ सिंह जी ने 15 अगस्त 1979 को नश्वर शरीर को त्यागा तो बाबा गुरबचन सिंह जी इस दिन को मुक्ति पर्व दिवस का नाम दिया अब मुक्ति पर्व पूरे देश व दूर देश के कोने-कोने में उन महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है जो मिशन के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जीवन प्रति समर्पित रहे 2015 में निरंकारी राजमाता जी 2016 में बाबा हरदेव सिंह जी 2018 में सविंदर् हरदेव जी के नाम भी जुड़ गए।

स्थानीय संयोजक नरेश विरमानी जी संचालक मनजीत सिंह जी एवं दयाल सिंह नेगी जी ने दिल्ली से पधारे महापुरुषों का स्वागत कर आभार प्रकट किया और समागम के पश्चात सभी को लंगर वितरण किया गया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *