पेरुमल मुरुगन और आधुनिक तमिल साहित्यिक परिदृश्य पर बातचीत

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं पेरुमल मुरुगन और आधुनिक तमिल साहित्यिक परिदृश्य विषय परएक वार्ता का आयोजन किया गया. इस सचित्र वार्ता में श्री निकोलस हॉफलैण्ड द्वारा युवा अध्येता अम्मार यासिर नक़वी से बातचीत की गई। इस बातचीत में दक्षिण भारतीय साहित्य के भौतिक, मानसिक परिदृश्यों पर विहंगम दृष्टि रखने का प्रयास हुआ। महत्वपूर्ण सवाल यह उठा कि क्या किसी समाज और उसके साहित्य के विकास को एक साथ समझा जा सकता है, और क्या साहित्य समाज में बदलाव का उतप्रेरक बन सकता है. निकोलस और अम्मार नकवी के मध्य इन सभी बिन्दुओं पर विमर्श किया गया। अम्मार नकवी ने तमिल क्षेत्र की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को उसकी संपूर्ण महिमा के साथ प्रस्तुत किया ।

चर्चा का प्रारंभिक बिंदु पेरुमल मुरुगन के लेखन पर केन्द्रित रहा। इमायम, सीएस चेलप्पा, बामा, सलमा, जानकीरमन जैसे लेखकों पर भी चर्चा की गई। महिला और दलित साहित्य पर भी संक्षेप में चर्चा की गई। अम्मार नकवी ने साहित्य की लोकप्रियता और प्रचार-प्रसार पर पुरस्कार और प्रकाशनों की क्या भूमिका है? इस पर भी खास बात की।

कुल मिलाकर इस बातचीत में तमिल संस्कृति और साहित्य का परिचय, साहित्यिक शैली के रूप में इसका विकास और संगम की समृद्ध विरासत, विश्व इतिहास में इसका अद्वितीय स्थान और इसकी निरंतरता और विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक बात की गई। अंग्रेजी अनुवाद की भूमिका, उसकी शैलियाँ, स्वरूप और सामने आने वाली चुनौतियाँ पर भी गहराई से विमर्श हुआ। इसके साथ ही औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक भारत में जन साहित्य का विकास कैसे हुआ, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और साहित्यिक समाज की भूमिका पर भी चर्चा की गयी।

वार्ताकार अम्मार नक़वी पेशे से एक अकादमिक अनुवादक,लेखक, इतिहासकार, घुम्मकड़ और एक महत्वाकांक्षी शिक्षाविद हैं. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय जैसे संगठनों के साथ-साथ अमन प्रकाशन और परिवर्तन प्रकाश जैसे कुछ क्षेत्रीय प्रकाशनों के लिए लेखक, अकादमिक प्रशिक्षक, अनुवादक, शोधकर्ता और संसाधन व्यक्ति के रूप में में काम कर रहे हैं. उन्होंने बंगाल के दूरदराज के हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्रीय पुस्तकालयों की स्थापना की।

कार्यक्रम की शुरुआत में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों वक्ता और उपस्थित प्रतिभागी लोगों का स्वागत किया और इस तरह की पहल को साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर अनेक युवा पाठक, लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।

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